रात में
मीठी ख्वाब में
आपके साथ
बातें करता रहा
बारिश की बुँदे
और मिटटी की सोंधी
खुसबू
रातरानी की महक
और झींगुर की आवाज
बलखाती लहराती चांदनी
और पत्तों की सरसराहट
सांसों की हर तार में
फिजा की हर बात में
आप ही आप थी
उन्निदे थी , सिल्बते थी
उन्मांद था ,एहसास था
सांसों की खुसबू थी
बदन में उन्मांद था
आँखों में शराब था
हाथों में आपका हाथ था
गेशूंऔ में उलझते
मेरी उँगलियाँ
आप ही ,
आप थी
होश में होश खो दिया
रात थी
मीठी ख्वाब थी,
खवाब थे,
शायद खवाब————-
.ღ Rajeev Ranjanღ.ღ
waah nice poem sir